Standard Deviation

Standard Deviation

σ किसी डेटा सेट की वेरिएशन दर्शाता है; वित्तीय दुनिया में यह वोलैटिलिटी मापने के लिए प्रयोग होता है ।
यह जोखिम-इनाम स्ट्रेटेजी (जैसे Bollinger Bands, VWAP बैंड) में मदद करता है।
A. 📈 वोलैटिलिटी / जोखिम मापना
• σ से पता चलता है कि कोई स्टॉक कितना अस्थिर है। उच्च σ → जोखिम एवं संभावित बड़े मूव्स, जबकि कम σ → स्थिरता ।
B. 🛡️ पोर्टफोलियो जोखिम प्रबंधन
• σ का उपयोग करके Sharpe Ratio, VaR, और Modern Portfolio Theory जैसे रिस्क-मेट्रिक्स में निवेश की स्थिरता और विविधीकरण को खोजना आसान होता है ।
C. 🎯 ट्रेडिंग संकेत
• Bollinger Bands जैसे संकेतकों में σ का उपयोग होता है — आमतौर पर ±2σ रेंज में ~95% डेटा होता है ।
• जब कीमत बैंड से बाहर जाती है, तो यह ओवरबॉट/ओवरसोल्ड संकेत देता है — रिवर्सल या ब्रेकआउट की संभावना होती है ।
D. 🛑 स्टॉप लॉस और पोजिशन साइज
• σ पर आधारित स्टॉप लॉस रखना सुरक्षित होता है — यह मार्केट की अस्थिरता का ध्यान रखता है ।
• उच्च σ → कम पोजिशन साइज; कम σ → अधिक पोजिशन — ऐसा रिस्क मैनेजमेंट सुनिश्चित करता है ।

σ कब उपयोग करें?
स्थिति : 📊 हाई σ उपयोग ट्रेडिंग अवसर तलाशें क्योंकि मूव ज़्यादा हो सकते हैं
स्थिति🤔 लॉन्ग टर्म निवेश उपयोग कम σ वाले स्टॉक्स चुनें ताकि जोखिम कम हो
स्थिति🧳 डाइवर्सीफिकेशन उपयोग विभिन्न σ वाले निवेश शामिल करें ताकि जोखिम सिमट सके

Limitations
• σ इतिहास आधारित होता है; भविष्य की गारंटी नहीं देता ।
• यह कीमतों की दिशा नहीं बताता, केवल प्रसरण (spread) मापता है ।
• मार्केट में fat tails की मौजूदगी σ से सेकंडरी रखरखाव हो सकता है, यानी असामान्य बड़े मूव्स के लिए अधूरा अनुमान हो सकता है ।

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