Author: AasthaFinTech

VWAP

VWAP

levels and use:
VWAP दिन के प्राइस × वॉल्यूम का भारित औसत है।
• यदि प्राइस VWAP से ऊपर → बुलिश; नीचे → बैरिश ट्रेंड ।
• VWAP ± एक या दो σ बैंड रिसेट हो सकते हैं, जिससे ओवरबॉट/ओवरसोल्ड लेवल मिलते हैं।
• संस्थान इसे ट्रेडिंग में मार्गदर्शक के रूप में उपयोग करते हैं।

📌 VWAP क्या है?
VWAP उस दिन का औसत ट्रेडिंग मूल्य होता है, जिसे ट्रेडेड वॉल्यूम के अनुसार भारित किया जाता है। इसे एक दिन के शुरू से आख़िर तक गणना करके रोजाना रीसैट किया जाता है ।
गणना:
1. Typical Price = (High + Low + Close)/3
2. इस Typical Price को उस इंटरवल के वॉल्यूम से गुणा करें (PV)।
3. दिन के cumulative PV को cumulative वॉल्यूम से भाग दें → VWAP ।

🎯 VWAP का उपयोग
1. ट्रेंड पहचान (Trend Identification)
• प्राइस > VWAP: बुलिश ट्रेंड
• प्राइस < VWAP: बैरिश ट्रेंड ।

2. डायनामिक सपोर्ट/रेज़िस्टेंस
• उपर से नीचे आते हुए VWAP को शूर्टर्स रेजिस्टेंस मान सकते हैं;
• नीचे से आते हुए VWAP को बायर्स सपोर्ट मान सकते हैं ।

3. Mean Reversion ट्रेडिंग
प्राइस ±1σ या ±2σ के आसपास पहुंच जाए, तो ट्रेंड की दिशा में रिवर्सल हो सकता है – इसे VWAP बैंड्स के साथ उपयोग किया जा सकता है ।

4. Entry & Exit Rules
• Long Entry: प्राइस VWAP से ऊपर जाए, फिर pullback पर एंट्री ।
• Short Entry: प्राइस VWAP से नीचे गिरने के बाद pullback पर शॉर्ट ।

5. संस्थागत उपयोग
बड़े निवेशक और एल्गोरिदम VWAP का उपयोग ऑर्डर को मार्केट से कम प्रभावित करने के लिए करते हैं – VWAP के आसपास ट्रेड करके स्लिपेज को कम करते हैं ।

⚠️ Limitations
• इंट्राडे उपयोग: VWAP रोजाना रिसैट होता है, इसलिए यह लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग के लिए उपयुक्त नहीं ।
• लेगिंग इंडिकेटर: जैसे-जैसे दिन बढ़ता है, VWAP स्मूथ हो जाता है, जिससे सिग्नल देर से मिलता है ।
• कम तरलता वाला मार्केट: लिक्विड मार्केट में बेहतर काम करता है, जबकि लो वॉल्यूम में सिग्नल unreliable हो सकते हैं ।

✅ Best Practices

उपयोग विवरण
उपयोग वॉल्यूम और तुलना विवरण: volume spike + मोमेंटम के साथ VWAP का ब्रेकआउट ताकतवर संकेत है ।
उपयोग अन्य Indicators के साथ विवरण : VWAP + MACD, RSI, Bollinger Bands → सिग्नल की विश्वसनीयता बढ़ती है ।
उपयोगAnchored VWAP विवरण :किसी मूवमेंट/गैप के बाद VWAP को उस पॉइंट से एंकोर किया जा सकता है ।

VIX

VIX

• VIX S&P 500 ऑप्शन की इम्प्लाइड वोलैटिलिटी से बनता है, इसे “फियर गेज” कहते हैं।
• यह अगले 30 दिनों की वार्षिकीकृत वोलैटिलिटी बताता है। उदाहरण: VIX = 22 का मतलब है कि ±22% वार्षिक रेंज की 68% संभावना है।
• उपयोग:
o सेंटिमेंट ट्रैक करना: VIX > 30 = ब्याज/डर; < 20 = शांतिपूर्ण मार्केट । o हेजिंग व ट्रेडिंग: VIX Futures/ETFs (जैसे VXX, SVXY) के जरिए वोलैटिलिटी ट्रेड करना संभव है।
1. VIX क्या है? 📊
VIX, जिसे “फियर गेज” भी कहते हैं, S&P 500 इंडेक्स विकल्पों से निकली 30 दिन की इम्प्लाइड वोलैटिलिटी को मापता है।
• यह दाखिल करता है कि बाज़ार अगले 30 दिनों में कितनी तेजी/उथल पुथल की उम्मीद कर रहा है।

2. VIX कैसे कैलकुलेट होता है?
• यह S&P 500 कॉल और पुट ऑप्शन्स के बोल-बिड कीमतों का भारित औसत होता है, जिनकी एक्सपायरी 23–37 दिनों में होती है ।
• CBOE इसका एक कानूनी फॉर्मूला इस्तेमाल करता है, जो वार्षिकीकृत वोलैटिलिटी प्रदर्शित करता है ।

3. VIX का महत्व और इंटरप्रिटेशन
• VIX सामान्यतः स्टॉक्स की इन्वर्स मूवमेंट के साथ चलता है:
o जब S&P 500 गिरता है → VIX बढ़ता है,
o और जब मार्केट स्थिर है → VIX शांत रहता है ।
• High VIX (30+): डर और तेज़ी → आम तौर पर सेलिंग इमोशन बढ़ जाता है
• Low VIX (<20): सुकून और कॉम्प्लेसेंसी, कभी-कभी मार्केट ओवरबॉट हो सकता है ।

4. VIX का उपयोग कैसे करें?
(A) जोखिम और सेंटिमेंट मापन
• Portfolio Hedge: VIX derivatives (जैसे VIX futures, options, ETNs) से डर के समय जोखिम कम किया जा सकता है ।
• Contrarian Indicator: बहुत अधिक VIX → मार्केट नीचे पहुँच सकता है; बहुत कम VIX → गिरावट आने का संकेत ।
(B) VIX ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी
• STRADDLE/STRANGLE: VIX ऑप्शंस और फ्यूचर्स के साथ स्ट्रैटेजीज बनाई जाती हैं ।
• VIX CALL/PUT ऑप्शंस:
o Call खरीदना जब बढ़ती वोलैटिलिटी की उम्मीद हो।
o Put खरीदना जब ऐसा लगता है कि वोलैटिलिटी गिरने वाली है ।

5. वास्तविक दुनिया का उदाहरण
• April 2025 में VIX ने 40+ पार की — पहली बार COVID 19 के बाद;
एक रणनीतिक निवेशक ने VIX Put ऑप्शंस खरीदे और जब VIX गिरकर ~23.8 हुआ → मुनाफा लिया ।
यह दिखाता है कि VIX बहुत ऊँचा → जल्दी गिरने की संभावना होती है।

6. उपयोगी टिप्स
• VIX derivatives में mean reversion की ताकत उपयोगी होती है — समय के साथ यह सामान्य स्तर (20 के आसपास) लौट आता है ।
टर्म स्ट्रक्चर का ध्यान रखें — Futures curve का फ्लैट होना मार्केट में डर का संकेत हो सकता है ।
ETNs/ETFs जोखिम से अवगत रहें: वे स्पॉट VIX को ट्रैक नहीं करते, लिवरेज और रॉलओवर की वजह से लॉन्ग टर्म में “volatility lag” उठा सकते हैं ।

Standard Deviation

Standard Deviation

σ किसी डेटा सेट की वेरिएशन दर्शाता है; वित्तीय दुनिया में यह वोलैटिलिटी मापने के लिए प्रयोग होता है ।
यह जोखिम-इनाम स्ट्रेटेजी (जैसे Bollinger Bands, VWAP बैंड) में मदद करता है।
A. 📈 वोलैटिलिटी / जोखिम मापना
• σ से पता चलता है कि कोई स्टॉक कितना अस्थिर है। उच्च σ → जोखिम एवं संभावित बड़े मूव्स, जबकि कम σ → स्थिरता ।
B. 🛡️ पोर्टफोलियो जोखिम प्रबंधन
• σ का उपयोग करके Sharpe Ratio, VaR, और Modern Portfolio Theory जैसे रिस्क-मेट्रिक्स में निवेश की स्थिरता और विविधीकरण को खोजना आसान होता है ।
C. 🎯 ट्रेडिंग संकेत
• Bollinger Bands जैसे संकेतकों में σ का उपयोग होता है — आमतौर पर ±2σ रेंज में ~95% डेटा होता है ।
• जब कीमत बैंड से बाहर जाती है, तो यह ओवरबॉट/ओवरसोल्ड संकेत देता है — रिवर्सल या ब्रेकआउट की संभावना होती है ।
D. 🛑 स्टॉप लॉस और पोजिशन साइज
• σ पर आधारित स्टॉप लॉस रखना सुरक्षित होता है — यह मार्केट की अस्थिरता का ध्यान रखता है ।
• उच्च σ → कम पोजिशन साइज; कम σ → अधिक पोजिशन — ऐसा रिस्क मैनेजमेंट सुनिश्चित करता है ।

σ कब उपयोग करें?
स्थिति : 📊 हाई σ उपयोग ट्रेडिंग अवसर तलाशें क्योंकि मूव ज़्यादा हो सकते हैं
स्थिति🤔 लॉन्ग टर्म निवेश उपयोग कम σ वाले स्टॉक्स चुनें ताकि जोखिम कम हो
स्थिति🧳 डाइवर्सीफिकेशन उपयोग विभिन्न σ वाले निवेश शामिल करें ताकि जोखिम सिमट सके

Limitations
• σ इतिहास आधारित होता है; भविष्य की गारंटी नहीं देता ।
• यह कीमतों की दिशा नहीं बताता, केवल प्रसरण (spread) मापता है ।
• मार्केट में fat tails की मौजूदगी σ से सेकंडरी रखरखाव हो सकता है, यानी असामान्य बड़े मूव्स के लिए अधूरा अनुमान हो सकता है ।

Impact and use in option

Impact and use in option
1. Delta (Δ)
• Δ = ऑप्शन प्राइस में बदलाव/हर ₹1 मूव में underlying price; कॉल में 0–+1, पुट में 0–−1 ।
• यह ITM की संभाव्यता भी दर्शाता है।
2. Gamma (Γ)
• Γ = Δ में बदलाव की दर; ATM और एक्सपायरी के पास ऊँचा रहता है ।
3. Vega (ν)
• Vega = विकल्प की वैल्यू में बदलाव/1% IV मूव पर; कॉल और पुट दोनों में पॉजिटिव ।
• लंबी अवधि और ATM ऑप्शन्स में यह अधिक होता है।
4. Theta (Θ)
• Θ = समय के साथ मूल्य ह्रास; आमतौर पर निगेटिव; एक्सपायरी के पास सबसे तेज होता है ।

🔹 1. Delta (Δ)
• क्या है?
Delta दिखाता है कि underlying में ₹1 की कीमत बदलाव से ऑप्शन प्रीमियम कितना बदलेगा — कॉल ऑप्शन्स में +0 से +1, पुट में 0 से −1 के बीच होता है ।
साथ ही यह ऑप्शन के ITM में समाप्त होने की अनुमानित संभावना भी बताता है (जैसे Δ = 0.5 = ~50% संभावना) ।
• उपयोग:
o डायरेक्शनल एक्सपोज़र: क्लोज़ Δ वाले कॉल लेने से स्टॉक मूव पर तेज़ फायदा या नुकसान मिल सकता है।
o Δ-हेजिंग: ट्रेडर Δ-न्यूट्रल पोर्टफोलियो बनाकर directional risk को कम करते हैं ।

🔹 2. Gamma (Γ)
• क्या है?
Gamma बताता है कि Δ, underlying में ₹1 मूव पर, कितनी गति से बदलता है – यानी यह Δ का “acceleration” है ।
• उपयोग:
o Δ स्थिरता को समझना: उच्च Gamma → छोटा मूव भी Δ में बड़ा बदलाव → अधिक सक्रिय प्रबंधन ज़रूरी ।
o गामा-न्यूट्रल रणनीतियाँ: Gamma-Derlt Neutral स्प्रेड्स जैसे Ratio Call Write में Gamma संतुलित करके volatility से बाहर रहते हैं ।

🔹 3. Vega (ν)
• क्या है?
Vega ऑप्शन की कीमत की संवेदनशीलता को दर्शाता है जब इम्प्लाइड वोलैटिलिटी में 1% की बदलाव होती है ।
यह कॉल और पुट दोनों में सकारात्मक होता है ।
• उपयोग:
o IV आधारित रणनीति: उच्च Vega → वोलैटिल बाजार (जैसे earnings) में लाभ;
Vega का उपयोग करके स्ट्रैड्ल/स्ट्रैंगल जैसे इवेंट ट्रेड इंतजार किया जाता है ।
o Vega-हेजिंग: Traders Vega exposure को hedge कर volatility की बदलाव से बचते हैं।

🔹 4. Theta (Θ)
• क्या है?
Theta रोज़ाना टाइम डिके — सिर्फ टाइम काटने से ऑप्शन कितना खोता है — दिखाता है। यह आमतौर पर निगेटिव होता है ।
• उपयोग:
o टाइम-डिके रणनीतियाँ: Theta का फायदा लेने के लिए निवेशक Short Options, Credit Spreads, Iron Condors जैसी रणनीतियाँ अपनाते हैं ।
o समय प्रबंधन: एक्सपायरी नजदीक → Theta तेजी से बढ़ता है; इसलिए प्रीमियम खरीदते समय समय का ध्यान रखना ज़रूरी है ।

Heavy weight and Equity

Heavy weight and Equity

• Heavy weight Equities (जैसे Nifty50 में बड़े कंपनियों के स्टॉक्स): यहाँ σ कम होता है, VWAP अधिक स्थिर रहता है।
• Small/Mid caps में σ अधिक होता है, ट्रेडिंग में प्राइस मूवमेंट तीव्र होता है, VWAP की सटीकता उतनी नहीं होती।

🏢 1. Heavy-weight Equities क्या हैं?
• Heavy-weight stocks वे कंपनियाँ होती हैं जिनका market cap किसी इंडेक्स (जैसे Nifty 50 या S&P 500) में अन्य शेयरों की तुलना में बहुत अधिक हिस्सा होती है ।
• गंभीर रूप से top-heavy market में सिर्फ कुछ कंपनियों का वज़न उसके आगे चलने में निर्णायक भूमिका निभाता है — उदाहरण के तौर पर Apple, Microsoft, Nvidia आदि का S&P 500 में हिस्सा 20–30% तक हो सकता है ।

⚖️ 2. Heavy-weight का Market पर प्रभाव
• जब ये मातृकंपनियाँ वृद्धि करती हैं → इंडेक्स सर्पिल पर तेजी से ऊपर जाता है, भले ही बाकी स्टॉक्स स्थिर हों या फिसल रहें ।
• परंतु जब कोई heavy-weight गिरता है, जैसे अगर HDFC Bank 20 % टूटे तो Nifty 50 में ~476 अंक की गिरावट आ सकती है ।

🚨 3. Heavy-weight Markets का खतरा और अवसर
• जोखिम:
o अगर इन बड़ी कंपनियों में गिरावट आती है → पूरे मार्केट में भारी दबाव आता है।
o Heavy Market अक्सर top-heavy बजार में बदल सकता है, जहाँ सिर्फ कुछ कंपनियाँ पूरी बाज़ार दिशा निर्धारित करती हैं ।
• अवसर:
o Heavy-weight कंपनियाँ स्थिर, कम-ऋण वाली, तरल (liquid) होती हैं, जो उदारीकृत (bullish) परिस्थितियों में मजबूत प्रदर्शन करती हैं ।
o अगर मार्केट विस्तार लेने लगता है (equal-weighted या small/mid-caps में), तो ये heavy-weights दूर की दौड़ में पिछड़ सकते हैं ।

🎯 4. निवेश रणनीति: Heavy weight vs Equal-weight
रणनीति : संसाधन उपयोग
Heavy weight (Cap weighted): बड़ी कंपनियों पर केंद्रित
Equal weight : सभी स्टॉक्स में समान वितरण

रणनीति : जोखिम
Heavy weight (Cap weighted) : single-stock वोलैटिलिटी का प्रभाव अधिक
Equal weight : diversification से जोखिम कम होता है

रणनीति : लाभ संभावनाएँ
Heavy weight (Cap weighted) : मामूली, पर स्थिर वृद्धि
Equal weight : समय के साथ अच्छे रिटर्न, लेकिन अयोग्य हो सकता है

5. Heavy-weight Equities के फायदे और नुकसान
फायदे:
• बड़े, वित्तीय रूप से मजबूत और अतुल्यनीय व्यवसाय
• उच्च liquidity, आसान खरीद-फरोख्त
• मंदी या अस्थिरता के समय में अपेक्षाकृत मजबूत प्रतिरोध
नुकसान:
• इंडेक्स heavily skewed हो सकता है, increasing concentration risk
• छोटी कंपनियों के मुकाबले धीमी वसूली और कम upside संभावनाएँ

💡 6. इनसाइडर टिप्स / बाजार के संकेत
• मार्केट में अगर heavy feel हो रहा है — यानी बाजार रिट्रीट के बजाय सिर्फ उड़ान भर रहा है — तो caution बरतें; हो सकता है उपर चढ़ान धीमा हो जाए ।
• Portfolio में heavy-weight और equal-weighted या small-cap assets का मिश्रण रखें ताकि जोखिम और रिटर्न कुशल तरीके से मैनेज हो सके ।

Bharti Airtel Ltd.

Bharti Airtel Ltd.

CMP – 1855.5
Market Cap – 1113222Cr.

About the Company
Bharti Airtel Limited is a leading telecommunication company globally. Headquartered in New Delhi, theg are the most trusted provider of ICT services with a global network across the USA, Europe, Africa, Middle East, Asia-Pacific, India, and SAARC regions. Airtel Telecommunications ranks amongst the top 3 mobile service providers around the world (as per subscribers)

1. P/E – 39.66
2. Total Share Holder – 833428

3. Net Profit 16 to 25:
> 2025 ₹ 37,481 cr.
> 2024 ₹ 8,558 cr.
> 2023 ₹ 12,287 cr.
> 2022 ₹ 8,305 cr.
> 2021 ₹ – 12,364 cr.
> 2020 ₹ – 30,664cr.
> 2019 ₹ 1,688 cr.
> 2018 ₹ 2,184 cr.
> 2017 ₹ 4,241 cr.
> 2016 ₹ 6,893 cr.

4. Holding Pattern 📊
> Promoters: 54.42%
> FIIs : 25.42 %
> Mutual Fund : 10.97 %
> Insurance Companies : 6.53 %
> Other DIIs : 1.84 %
> Non Institution(Public) : 2.82 %

Disclaimer: The above data should not be considered as a Buy or Sell recommendation. The analysis has been done for educational.

DOMS

DOMS

CMP – 2391
Market Cap – 14507 Cr.

About the Company
DOMS Industries Limited is the 2nd largest player in the stationery and art product company primarily engaged in designing, developing, manufacturing and selling a wide range of products.

1. P/E – 71.83
2. Total Share Holder – 61,774

3. Net Profit 20 to 25:
> 2025 ₹ 213.5 cr.
> 2024 ₹ 159.7 cr.
> 2023 ₹ 102.9 cr.
> 2022 ₹ 17.1 cr.
> 2021 ₹ – 6 cr.
> 2020 ₹ 36.4cr.

4. Holding Pattern 📊
> Promoters: 70.39 %
> FIIs : 9.90 %
> Mutual Fund : 13.90 %
> Insurance Companies : 1.67 %
> Other DIIs : 0.24 %
> Non Institution(Public) : 3.90 %

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Sheela Foam Ltd

Sheela Foam Ltd

CMP – 672
Market Cap – 7,304 Cr

About the Company
Sheela Foam Limited is a leading player in India’s mattress and foam products industry and a leader in Polyurethane Foam.

1. P/E – 85.8
2. Total Share Holder – 60,089

3. Net Profit 16 to 25:
> 2025 ₹ 140 cr.
> 2024 ₹ 184 cr.
> 2023 ₹ 201 cr.
> 2022 ₹ 219 cr.
> 2021 ₹ 240 cr.
> 2020 ₹ 194 cr.
> 2019 ₹ 134 cr
> 2018 ₹ 134cr.
> 2017 ₹ 126 cr.
> 2016 ₹ 105 cr

4. Holding Pattern 📊
> Promoters: 65.69 %
> FIIs: 6.23 %
> DIIs: 21.17 %
>  Public 6.91 %

Disclaimer: The above data should not be considered as a Buy or Sell recommendation. The analysis has been done for educational.

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Prudent Corporate Advisory Services Ltd

Prudent Corporate Advisory Services Ltd

CMP – 2,391
Market Cap – 9,966 Cr

About the Company
Prudent Corporate Advisory Services Limited provides retail wealth management services and it offers Mutual Fund products, Life and General Insurance solutions, Stock Broking services, SIP with Insurance, Gold Accumulation Plan, Asset Allocation, and Trading platforms

1. P/E – 52.9
2. Total Share Holder – 31,754

3. Net Profit 16 to 25:
> 2025 ₹ 188 cr.
> 2024 ₹ 139 cr.
> 2023 ₹ 117 cr.
> 2022 ₹ 80 cr.
> 2021 ₹ 45 cr.
> 2020 ₹ 28 cr.
> 2019 ₹ 21 cr.

4. Holding Pattern 📊
> Promoters: 55.71 %
> FIIs: 17.63 %
> DIIs: 20.71 %
>  Public 5.95 %

Disclaimer: The above data should not be considered as a Buy or Sell recommendation. The analysis has been done for educational.

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Tega Industries Ltd


Tega Industries Ltd

CMP – 1426
Market Cap – 9,621 Cr

About the Company

Tega Industries is a leading manufacturer and distributor of specialized, critical, and recurring consumable products for the global mineral beneficiation, mining, and bulk solids handling industry.

1)P/E – 51
2)Total Share Holder – 52,986

3. Net Profit 16 to 25:
> 2025 ₹ 188 cr.
> 2024 ₹ 194 cr.
> 2023 ₹ 184 cr.
> 2022 ₹ 117 cr.
> 2021 ₹ 136 cr.
> 2020 ₹ 66 cr.
> 2019 ₹ 33 cr.
> 2018 ₹ 28 cr.
> 2017 ₹ -2 cr.
> 2016 ₹ -10 cr

4. Holding Pattern 📊
> Promoters: 74.8 %
> FIIs: 1.68%
> DIIs: 19.02%
> Public 4.50 %

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